- Ujjawal Trivedi
कमाल है पाकिस्तानी टी वी शो

पिछले कुछ समय से पाकिस्तानी शो देख रहा हूं तो मन में एक सवाल उठा कि हम उनसे कुछ सीखते क्यों नही? हमारे देश में ये गालियों से भरपूर अनुराग कश्यप जैसा content क्यों पसंद किया जाता है? क्या हमारी सोच बदल गई है ? या कहीं गिर गई है ?
मैं Netflix पर मिर्ज़ापुर का एक ही एपिसोड देख सका और Scared Games के तीसरे एपिसोड के बाद ही गालियां सुन सुन कर इतना भर गया कि वहीं देखना छोड़ दिया। जानना चाहता हूं कि जो लोग इस तरह के content को पसंद करते है उनकी सोच कैसी होती है?
अगर ऐसे शो ना देख पाना cool नही होता तो मुझे खुशी है कि मैं इतना cool (fool) नहीं हूं जो मनोरंजन के नाम पर गालियां सुनने में रूचि रखूं । मैं चाहता हूं कि Netflix की team भी कुछ पाकिस्तानी शो देखे और उन्हे पता चले कि बिना गालियों के भी शो बनाये जा सकते है।
वैसे इस बारे में जब मैने कुछ लोगो के मन टटोलने की कोशिश की तो पता चला कि हिन्दुस्तान में लाखो करोड़ो लोग ऐसे है जो इस मामले में मेरे जैसी ही राय रखते है । मुझे पाकिस्तानी शो में जो अच्छा लगता है वो है उनकी कहानियां कहने का सरल अंदाज़, सलीकेदार भाषा , बेवजह कहानी को ना बढाना, शो के हर चरित्र की कहानी में सही जगह और इंसानी रिश्तो की अहमियत समझाती scripts.
वो जो old school of romance होता था उसे देखने का अगर शौक हो तो आपको वो अंदाज़ भी देखने को मिलेगा। मेरे कुछ पसंदीदा शो है - ज़िन्दगी गुलज़ार है, चीख, अना, छोटी छोटी बातें, हमसफर और हम टी वी के कई सारे शो बहुत कुछ सिखाते है। कैसे रोमान्स करते वक्त फासला रखना ज़रूरी होता है और बदलते रिश्तो के साथ कैसे बातचीत का लहज़ा बदलता है अगर आप इन सब बारीकियों में रूचि रखते है तो पाकिस्तानी शो आपको बेहद पसंद आयेगे।
अब अगर आप इन सारे पाकिस्तानी शो को हाल ही में आये Indian web shows से तुलना करके देखेगे तो आपको एहसास हो जायेगा कि पिछड़ा हुआ कौन है हमारे शो की कहानियां या पाकिस्तानी शो ।
वैसे तो हमारे पास पाकिस्तान को गाली देने की हज़ार वजह है लेकिन पाकिस्तानी टी वी शो से मिली एक वजह ऐसी है जो हमारी आने वाली पीढी को गाली देने और सुनने दोनो से बचा सकती है।