आपको ये जानकर हैरानी होगी लेकिन 2011 में हुई जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक देश की आबादी का 2.21 प्रतिशत हिस्सा दिव्यांग है। हालांकि, जनगणना में सामने आया ये आंकड़ा वास्तविकता का बहुत छोटा अंग है। एक सर्वे के मुताबिक शारीरिक के अलावा 3.9 मिलियन लोग ऐसे भी हैं जो मनोसामाजिक विकलांगता से पीड़ित हैं। इन्हीं लोगों के प्रति अन्य व्यक्तियों के व्यवहार में बदलाव लाने के उद्देश्य से हर साल 3 दिसंबर को विश्व दिव्यांग दिवस मनाया जाता है। इस दिन हर साल दिव्यांगो के कल्याण और समाज में इन्हे बराबरी देने पर चर्चा होती है।
शारीरिक दिव्यांगता के अलावा मनोसामाजिक दिव्यांगत से पीड़ित लोग स्ट्रेस डिसऑर्डर और अन्य मानसिक बीमारियों सहित डाउन सिंड्रोम और डिस्लेक्सिया जैसी दिमागी बीमारी का भी सामना करते हैं। ऐसे में उन्हें समझना और सहायता करना बहुत जरूरी है।
उद्देश्य
अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस का उद्देश्य दिव्यांग लोगों के समाज में बराबरी का अधिकार दिलवाना है। इस दिन अन्य नागरिकों को दिव्यांगजनों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। दिव्यांग अपने जीवन में किस तरह की कठिनाइयों का सामना करते हैं इसके बारे में नागरिकों का ध्यान खींचा जाता है जो उन्हें जागरुक करता है। इसी के साथ दिव्यांगो में मौजूद असाधारण क्षमता से भी लोगों को रूबरू करवाया जाता है।
भारत का जिम्मेदार नागरिक होने के चलते हम सभी की ये जिम्मेदारी है कि हम अपने आसपास मौजूद दिव्यांग लोगो की सहायता करें। उनके साथ गलत व्यवहार ना करते हुए सहयोग करें और उनके जीवन को बेहतर बनाने में योगदान दें।