हैरानी की बात है ना आधुनिकता की और बढ़ती डिजिटल दुनिया में आज भी एक ऐसा हिस्सा मौजूद है जो इन सब चीजों से अलग-थलग है। डिजिटल माध्यमों ने जहां है हर चीज उंगलियों पर लाकर रख दी है वहीं कुछ लोग आज भी कंप्यूटर के ज्ञान से अछूते हैं। इन्हीं लोगों में डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से हर साल 2 दिसंबर को विश्व कंप्यूटर साक्षरता दिवस मनाया जाता है।
कंप्यूटर साक्षरता दिवस खासकर उन लोगों के लिए मनाया जाता है जो कंप्यूटर से संबंधित चीजों के बारे में नहीं जानते। उन्हें कंप्यूटर के बारे में ज्ञान देने और साक्षर करने के उद्देश्य से ही इस दिन को मनाया जाता है। साल 2001 में भारतीय कंपनी NIIT ने डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इस दिन को मनाने की शुरुआत की थी।
कंप्यूटर साक्षरता
कंप्यूटर, सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर की सामान्य जानकारी को कंप्यूटर साक्षरता कहा जाता है। किसी विशेष सॉफ्टवेयर को जानना या फिर प्रोग्रामिंग करना आना ही कंप्यूटर का ज्ञान नहीं है।बल्कि उसे उपयोग करना आना और उसके बारे में मूलभूत ज्ञान होना कंप्यूटर साक्षरता कहलाता है।
कंप्यूटर साक्षरता के प्रकार
कंप्यूटर साक्षरता तीन प्रकार की होती है डिजिटल, हाइब्रिड और एनालॉग।
डिजीटल साक्षरता
किसी भी डिजिटल प्लेटफॉर्म पर टाइपिंग या फिर अन्य माध्यमों से किसी व्यक्ति के बारे में कोई खोज या जानकारी निकालने सहित खोजने और मूल्यांकन करने की क्षमता डिजिटल साक्षरता कहलाती है। कोई भी जानकारी खोजकर बनाने और संचार करने के लिए सूचना और डिजिटल चीजों का उपयोग ही डिजिटल साक्षरता है।
एनालॉग साक्षरता
किसी भी चीज को मापने चाहे वो ताप हो दाब हो या लंबाई ऊंचाई या कहे की सिग्नलों को मापने में इस तरह के कंप्यूटर का इस्तेमाल होता है। इससे जुड़ी खास बात ये है कि हम इसे अपने दैनिक जीवन में उपयोग करते हैं जैसे बुखार मापने के लिए उपयोग किया गया थर्मामीटर एनालॉग साक्षरता में शामिल है। जैसे ही इनपुट बदलता है एनालॉग सिस्टम अपने आउटपुट में भी बदलाव कर लेता है।
हाइब्रिड साक्षरता
हाइब्रिड साक्षरता, डिजिटल और एनालॉग का मिश्रण है। इस तरह के कंप्यूटर में इनपुट और आउटपुट तो एनालॉग होती है लेकिन प्रोसेसिंग डिजिटल तरीके से होती है। डिजिटल और एनालॉग के मिश्रण के इस ज्ञान को ही हाइब्रिड साक्षरता कहते हैं।