विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign exchange reserves) में आ रही गिरावट के चलते पिछले कुछ दिनों से लगातार रुपया (Rupees) डॉलर (Dollar) के मुकाबले कमजोर बना हुआ है और डॉलर की कीमत लगातार बढ़ रही है। विदेशी मुद्रा भंडार में यह गिरावट हमारे एक्सपोर्ट्स में आई कमी के चलते हो रही है। फूटी कोड़ी से लेकर पैसा, आना और रुपए तक का सफर तय करने वाला ये रूपया कई पड़ावों से होकर हम तक पहुंचा है।
ऐसा कहा जाता है कि शेरशाह सूरी ने पहली बार अपने शासन में रुपया शब्द का इस्तेमाल किया था। उस समय तांबे और सोने के सिक्के चलते थे, जहां तांबे के सिक्के को दाम और सोने के सिक्के को मोहर कहा जाता था।
1861 में पहली बार 10 रुपए का नोट छापा गया इसके बाद 1864 में 20 रुपए का नोट बनाया गया। 1872 में 5 रुपए का नोट आया। 20वीं शताब्दी की शुरुआत के साथ बड़े नोट छापे जाने लगे 1907 में पांच सौ का नोट छपा और 1909 में एक हजार का नोट लाया गया। रुपया जो आपकी जेब में रखा हुआ है इसकी कीमत लगातार कमजोर हो रही है और अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसका दाम घट रहा है। अब ये क्यों हो रहा है यह एक बड़ा सवाल है। 1 डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत जितनी कम होती है वह उतना ही मजबूत होता है और रुपए की कीमत जितनी ज्यादा होती है वह उतना कमजोर होता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक 2010 की तुलना में 2022 में रुपया 38 रुपए कमजोर हो गया है। किसी भी देश की मुद्रा जब डॉलर के मुकाबले कमजोर होती है इसका मतलब ये है कि रुपया कमजोर होता है। अमेरिकी डॉलर की दुनिया भर के विदेशी मुद्रा भंडार में एक अलग ही जगह है। दुनिया में 85% कारोबार डॉलर से ही किया जाता है।
डॉलर के मुकाबले रुपया को मजबूत बनाए रखने के लिए यह जरूरी है कि विदेशी मुद्रा भंडार में डॉलर को अधिक मात्रा में रखा जाए। रुपया इसलिए भी कमजोर हो रहा है क्योंकि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार घट रहा है विदेशी मुद्रा भंडार में डॉलर जितना ज्यादा होगा रुपए की स्थिति उतनी ही मजबूत बनी रहेगी। रुपया को मजबूत बनाने का सिर्फ और सिर्फ एक तरीका है कि भारत का एक्सपोर्ट बढ़ाया जाए क्योंकि एक्सपोर्ट बढ़ाने से देश की अर्थव्यवस्था में सुधार होगा।