क्या आप जानते हैं हर 1 मिनट में 20 साल से कम उम्र का एक बच्चा एचआईवी पॉजिटिव हो जाता है। 2020 में लगाए गए एक अनुमान के मुताबिक 1.94 मिलियन बच्चे इस बीमारी के साथ अपना जीवन जी रहे हैं। एचआईवी एक वायरस है जिससे एड्स नामक रोग होता है। कई सालों से इस रोग का इलाज ढूंढा जा रहा है लेकिन अब तक कोई भी सफलता हाथ नहीं लगी है।
एचआईवी संक्रमण के लक्षण की बात करें तो यह बहुत ही नॉर्मल होते हैं। रात में बुखार, थकान, शरीर पर चकत्ते, सिर दर्द सहित गर्दन और कमर में सूजन जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
बच्चों में होते हैं ये लक्षण
यह वायरस सबसे पहले इम्यून सिस्टम पर अटैक कर उसे कमजोर बनाता है। जिससे व्यक्ति किसी अन्य संक्रमण की चपेट में भी जल्द आता है। बच्चों में इस बीमारी के लक्षण की बात करें तो यह उनकी उम्र पर निर्भर होते हैं। हर बच्चे में अलग-अलग लक्षण दिखाई दे सकते हैं। जिसमें बार-बार संक्रमण होना, विकास रुक जाना, बुखार और पसीना आना, पेट में सूजन होना, डायरिया, शरीर में एनर्जी की कमी, वजन कम होना और बार-बार हो रहे इन्फेक्शन का इलाज से भी ठीक ना होने जैसी चीजें शामिल हैं।
क्यों होता है एचआईवी
हमारे शरीर में सीडी 4 और टी कोशिकाएं होती है जो हमें हेल्दी बनाने का काम करती हैं। एचआईवी वायरस इन्हीं कोशिकाओं पर हमला कर इनकी संख्या को कम कर देता है। कोशिकाओं की कमी के चलते कई तरह के बैक्टीरिया और वायरस व्यक्ति को अपना शिकार बनाने लगते हैं। एचआईवी संक्रमित खून, स्तन के दूध और योनि द्रव या स्पर्म के जरिए कोई भी व्यक्ति एचआईवी संक्रमित हो सकता है। यौन संबंध के दौरान सावधानी न बरतने और गर्भावस्था के दौरान मां से बच्चे में यह संक्रमण आसानी से पहुंच सकता है। एचआईवी एक ऐसा वायरस है जिसका समय पर इलाज न किया जाए तो यह एड्स की गंभीर बीमारी पर पहुंच जाता है। एड्स इस वायरस की तीसरी और आखिरी स्टेज होती है। इसके पहले तक व्यक्ति वायरस के साथ 10 से 15 साल जी सकता है।