मीडिया जगत के लोगों के लिए एक बहुत ही बड़ी और अजीब-सी खबर आई है। जी और सोनी मीडिया जगत के ये दो बड़े प्लेयर माने जाते हैं, इनका मर्जर (विलय) हो गया है। मैं आपको बताता हूं कि इस मर्जर का आपके जीवन पर क्या असर पड़ेगा, लेकिन पहले समझते हैं कि ये क्यों हुआ है। जी एंटरटेनमेंट इंटरप्राइजेज लिमिटेड ने यह जानकारी दी है कि उनके बोर्ड ने सोनी पिक्चर्स नेटवर्क इंडिया के साथ अपने मर्जर को अनुमति दे दी है और इस मर्जर के बाद बनने वाली कंपनी में सोनी 1.57 अरब डॉलर का निवेश करेगी और उसके पास 52.93% जबकि जी एंटरटेनमेंट के पास 47.07% हिस्सेदारी होगी। पुनीत गोयनका नई कंपनी के एमडी और सीईओ बने रहेंगे। इस खबर को मैं जिस तरह से देखता हूं, आप लोगों को समझाने की कोशिश करता हूं।
मार्केट में जितने ज्यादा प्लेयर होते हैं, कंज्यूमर के लिए उतना ही अच्छा होता है क्योंकि उनका आपस में कॉम्पिटिशन बना रहता है और उस कॉम्पिटिशन की वजह से ज्यादा अच्छा प्रोडक्ट निकल कर बाहर आता है। कहने का मतलब यह है कि अगर आपके एंटरटेनमेंट के लिए बहुत सारे चैनल्स होंगे तो उनके बीच प्रतियोगिता होगी। इसके दो फायदे होंगे जो असली उपभोक्ता है उनको वैरायटी यानी विविधता मिलेगी, क्वालिटी यानी गुणवत्ता मिलेगी, क्वांटिटी यानी संख्या भी ज्यादा मिलेगी। इन सबके साथ जो इस इंडस्ट्री में काम करने वाले लोग हैं, उन्हें अधिक और बेहतर मौके मिलेंगे क्योंकि हर एक टीवी चैनल, एक-दूसरे के साथ कम्पीट करेगा और एक-दूसरे के बेहतर टेलेंट को अपने साथ जोड़ना चाहेगा। इसलिए यह दुख की बात है कि इन दोनों कंपनियों का विलय हुआ है। ये मर्जर न तो कंज्यूमर्स के हित में है, जो कि एन्ड कंज्यूमर्स हैं क्योंकि अगर दो बड़ी कंपनी का विलय हो जाता है तो जाहिर है उनके बीच एक कॉम्पिटिशन खत्म होता है और ये कॉम्पिटिशन जब खत्म होता है तो मार्केट में बेहतरी की गुंजाइश कम होने लगती है।
अब अगर हम बात करें, इन कंपनियों में काम करने वाले लोगों के लिए यह विलय कैसा है। तो जाहिर है, मर्जर दोनों कंपनियों में काम करने वालों के लिए एक दबाव की स्थिति लेकर आता है क्योंकि जब दो अलग-अलग प्लेयर होते हैं, अपने-अपने मार्केट के हिसाब से खेल खेल रहे होते हैं। लेकिन यहां पर ये दोनों प्लेयर्स एक हो गए तो यहां काम करने वालों के लिए दबाव बनेगा। आगे बेहतरी की गुंजाइश कम होगी और साथ ही एक तरह से हो सकता है बहुत से लोगों को उनकी ड्यूटीज और रिस्पांसिबिलिटीज को लेकर कोम्प्रोमाइज करना पड़े और यही उनके कंपनसेशन में भी होगा। एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री जिस दौर से होकर गुजर रही है, चाहे वह बॉयकॉट बॉलीवुड का असर हो चाहे ओटीटी के तेजी से पांव पसारने की वजह हो या अब हम इस मर्जर की भी बात कर सकते हैं। निश्चित तौर पर ये एक ऐसा मौका है, जिसे मैं कहूंगा कि एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री अपने बड़े खराब दौर में है। इस पूरे मर्जर पर मेरी कोशिश होगी कि मैं आपको और भी जानकारी दूं। वह जानकारी जिसका सीधे आप पर असर होगा। आप इसके बारे में अपनी क्या राय रखते हैं, मुझे बताइए ताकि हम समझ सके कि इस मामले में हमारा देश क्या सोचता है?