भगवान के बाद इंसान अगर किसी व्यक्ति पर सबसे ज्यादा भरोसा करता है, तो वह डॉक्टर है। अपनी हर दुख तकलीफ को लेकर इंसान ठीक भगवान की तरह डॉक्टर के पास जाता है। लेकिन तकलीफ को दूर करने के नाम पर जब डॉक्टर ही मरीज को पीड़ा देने लगे तो क्या होगा। ऐसा ही कुछ एक महिला के साथ हुआ है, जब डॉक्टर ने बिना बेहोश किए उसका ऑपरेशन कर दिया।
यह मामला बीआरडी मेडिकल कॉलेज के सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक का है। यहां पर एक महिला अपने पेशाब की नली में मौजूद पथरी का ऑपरेशन करवाने के लिए डॉक्टर के पास गई थी। डॉक्टर ने बिना बेहोश किए हाथ पैर बांधकर महिला का ऑपरेशन कर दिया। वो चीखती चिल्लाती रही लेकिन उसकी एक भी बात नहीं सुनी गई। हैरानी की बात ये है कि महिला को पेशाब नली के पास एक घाव हो गया है जिसका अब निजी अस्पताल में इलाज किया जा रहा है।
जानकारी के मुताबिक माया बाजार के रहने वाली इस महिला ने पेशाब नली में 8.6 एमएम की पथरी होने पर मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर पवन कुमार से संपर्क किया। डॉक्टर ने कहा कि यहां पर दूरबीन नहीं है बाहर से मंगवाना पड़ेगा तो महिला इसके लिए 8 हजार देने के लिए तैयार हो गई। इसके बाद डॉक्टर ने बेहोश कर महिला का ऑपरेशन कर दिया लेकिन दर्द कम होने का नाम नहीं ले रहा था। अल्ट्रासाउंड करवाने पर फिर से 8.1 एमएम की पथरी दिखाई दी। महिला ने डॉक्टर को बताया तो डॉक्टर ने उसे मेडिकल कॉलेज बुलाया और ऑपरेशन थिएटर में ले जाकर उसके हाथ पैर बांध दिए। विरोध करने पर उन्होंने कहा कि यह जांच प्रक्रिया है और इसके बाद बिना बेहोशी का इंजेक्शन दिए दूरबीन से पथरी को तोड़ने लगे। बाहर आने के बाद महिला ने अपने साथ हुए व्यवहार के बारे में पति को जानकारी दी लेकिन यह नजरअंदाज कर घर चले गए।
दूसरी बार किए गए ऑपरेशन के बावजूद भी महिला को दर्द कम नहीं हो रहा था और जांच करवाने पर पता चला कि पेशाब नली के पास घाव हो गया है जिसमें मवाद बन रहा है। घबराई महिला ने इस बार मेडिकल कॉलेज जाने से मना कर दिया और फिलहाल उसका निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है।
ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर पवन कुमार का कहना है कि उन्होंने महिला के हाथ पैर नहीं बांधे हैं। हालांकि, बिना बेहोश किए इलाज करने की बात उन्होंने कबूल की है। डॉक्टर का कहना है कि दूसरी बार में पथरी नहीं तोड़ी गई बल्कि पहली बार की पथरी तोड़े जाने के बाद जो बुरादा पेशाब नली में आकर इकट्ठा हो गया था उसे साफ किया गया। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन थिएटर मुझे सिर्फ 2 दिन मिलता है और एनेस्थीसिया के लिए मरीज को 3 दिन पहले भर्ती करना पड़ता है ऐसे में इलाज में विलंब हो जाता है और महिला को उसी की वजह से दर्द हो रहा था। ये पहली बार नहीं है इससे पहले भी बिना बेहोश किए महिलाओं का इस तरह इलाज किया गया है लेकिन किसी ने शिकायत नहीं की।