क्या मुंबई पुलिस के निशाने पर बॉलीवुड आ गया है? ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि मुंबई पुलिस का जो एक ट्विटर हैंडल है वहां से कुछ ट्वीट किया गया है। इस ट्वीट में साफ दिखता है कि किस तरह से बॉलीवुड फिल्मों के कुछ डायलॉग्स, जिनमें नारी द्वेष की भावना है यानी नारियों के प्रति, उनको नीचा दिखाने की जो कोशिश की जाती है अक्सर फिल्मों के डॉयलॉग्स के जरिए, उस पर कमेंट किया गया है। बकायदा चार डायलॉग्स सिलेक्ट किए गए हैं और मुंबई पुलिस ने ऐसा न करने की सलाह दी है क्योंकि फिल्में हमारे समाज का आईना होती हैं। बहुत-सी चीजें ऐसी होती हैं, जो लोग फिल्में देखकर फॉलो करना शुरू कर देते हैं। कई बार तो ऐसा होता है कि फिल्मों में ऐसा हो रहा है इसलिए लोग उसे सही भी मान लेते हैं।
मुंबई पुलिस ने बहुत सही सवाल उठाया है कि अगर ऐसी फिल्में बनेंगी, जिनमें ऐसे डायलॉग्स होंगे तो समाज में बुराई का प्रचलन बढ़ेगा। मैं आपको बताता हूं कि कौन कौन से डायलॉग्स उन्होंने सिलेक्ट किए हैं। 2002 में एक फिल्म आई थी: हम तुम्हारे हैं सनम। उसका एक डायलॉग लिया गया है, तुम एक पत्नी हो, तुम्हारा पति जैसा चाहेगा, वैसा ही होगा। यह शादी का दस्तूर है, मर्द औरत का भगवान होता है। इस तरह के डायलॉग्स बॉलीवुड फिल्मों में बोले गए हैं। आप यह मानकर चलिए कि एक बार जो फिल्म बन जाती है वह कई बार देखी जाती है बल्कि आने वाले कई सालों तक देखी जाती है। उसका असर आने वाली पीढ़ियों पर पड़ता है। फिल्म के इस डायलॉग्स के साथ शाहरुख खान और माधुरी दीक्षित की तस्वीर भी है।
इसके अलावा 2019 में कबीर सिंह जो फिल्म आई थी, जिसमें शाहिद कपूर और किआरा आडवाणी की मुख्य भूमिका थी। उसका भी एक डायलॉग इस ट्वीट में लाया गया है: प्रीति चुन्नी ठीक करो। इसके अलावा मालामाल नाम से एक फिल्म आई थी 1988 में, उसका भी एक डायलॉग लिया गया है: अगर खूबसूरत लड़की को न छेड़ो तो वह तो उसकी बेइज्जती होती है ना। अब सोचिए ऐसे डायलॉग्स बॉलीवुड ने हमारे समाज को देने की कोशिश की है और यह आज की बात नहीं है। यह 1988 का डायलॉग है। यह सिखा रहा है बॉलीवुड हमें और मुंबई पुलिस ने बहुत सही सवाल इस पर उठाए हैं। एक और फिल्म है 2015 की: दिल धड़कने दो। इसका भी एक डायलॉग यहां लिया गया है: but I allowed Aisha to run her business. यानी एक पति यहां कह रहा है कि उसने अपनी पत्नी को परमिशन दी कि वह अपना बिजनेस चला सके। यह 2015 की फिल्म है। कोई 100 साल पुरानी फिल्म नहीं है, अभी 5-6 साल पहले आई फिल्म है। let’s not normalized my sujaniya. सुजनिया यानी नारी द्वेष जिसमें नारी को नीचा करके दिखाया जाता है। तो यह ट्वीट काफी चर्चा में है।
बहुत सारे लोगों ने इसे अपने व्हाट्सएप स्टेटस पर लगाया है। इस अकाउंट को 5 मिलियन लोग फॉलो करते हैं और मैं व्यक्तिगत रूप से कहना चाहूंगा कि बहुत अच्छी पहल है। कहा जाता है कि बॉलीवुड इज ऑल अबाउट बॉम्बे। तो इसमें यदि मुंबई पुलिस न बोले तो सही नहीं होगा। वैसे तो मुंबई में फिल्में बनती है लेकिन उसका असर तो पूरे देश और दुनिया में पड़ता है। यह जो एक कदम उठाया गया है निश्चित रूप से सराहनीय है। मैं भी कई ऐसी महिलाओं को जानता हूं, जिन्होंने इस ट्वीट को अपने व्हाट्सएप स्टेटस पर लगाया है। इसको री-ट्वीट किया गया है, शेयर किया गया है। इसमें मुंबई पुलिस ने साफ लिखा है: cinema is reflection of our society. There are just a few dialogues both our society and cinema reflect upon. Choose your words and actions with care unless you want the law to interfere. अगर आप इस तरह के विचार रखते हैं। इस तरह के डायलॉग्स फिल्मों में आते हैं, इसका मतलब यह है कि आपकी सोच ऐसी है और अगर आपकी सोच ऐसी है तो इसका मतलब यह है कि आप इसी तरह के काम में यकीन रखते हैं यानी कि यह आपके विचार हैं। तो यह एक बहुत बड़ी बात कही है मुंबई पुलिस ने और इस तरह से इसे सोशल मीडिया पर शेयर करना, बहुत सारे लोगों तक संदेश पहुंचाना, एक तरह से क्लीयर कट संदेश है कि भाई बॉलीवुडवालों तुम भी बाज आ जाओ। इस तरह की फिल्मों और इस तरह के डायलॉग्स को प्रोत्साहन मत दो। इससे समाज में गंदगी फैलती है और फिर पुलिस का काम बढ़ता है, अपराध बढ़ता है। आप लोग इस पर क्या सोचते हैं। मुझे जरूर बताएं। मैं चाहूंगा कि आप लोग भी अपनी तरफ से कंट्रीब्यूट करें और कुछ ऐसे डायलॉग्स निकालकर बताएं, जो आपने हाल ही कि फिल्मों में देखे या सुने हों ताकि हम समझ सकें कि और किस किस तरह के कंटेंट पर रोक लगाने की जरूरत है