2021 में तैयार की गई एक रिपोर्ट के मुताबिक करप्शन सुधार के मामले में भारत 194 देशों में 82वें पायदान पर है। देश में आए दिन भ्रष्टाचार के नए-नए मामले भी सामने आते दिखाई देते हैं। ना सिर्फ देश बल्कि पूरी दुनिया में भ्रष्टाचार लोकतंत्र के लिए एक बड़ा खतरा बन चुका है। इसी पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से 9 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 31 अक्टूबर 2003 को भ्रष्टाचार के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन को अपनाया गया था।
हर साल दुनियाभर में हो रहे भ्रष्टाचार के आंकड़े को पता लगाने के लिए एक करप्शन परसेप्शन इंडेक्स तैयार किया जाता है। इस रिपोर्ट में यह बताया जाता है कि किस देश में कितना भ्रष्टाचार हो रहा है और कहां पर भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 15 सालों में कोई भी ऐसा देश नहीं है जहां पर कोई महत्वपूर्ण प्रगति देखने को मिली हो।
TRACE की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर कोरिया और तुर्कमेनिस्तान ऐसे देश है जहां पर भ्रष्टाचार का सबसे ज्यादा जोखिम है। वहीं डेनमार्क, नॉर्वे और फिनलैंड जैसे देशों में भ्रष्टाचार सबसे कम देखा जाता है। 2020 में भारत इस लिस्ट में 77 वें स्थान पर था और 2021 में ये रैंक 82वें नंबर पर रही।
अंतर्राष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस का महत्व
अंतर्राष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस का महत्व लोगों को भ्रष्टाचार के प्रति जागरूक करना है। इस दिन उन्हें यह बताया जाता है कि वह किस तरह से भ्रष्टाचार से बच सकते हैं और इसे रोकने की कोशिश कर सकते हैं। लोगों को यह जानकारी दी जाती है कि भ्रष्टाचार देश की आर्थिक व्यवस्था को बहुत प्रभावित करता है।