बॉलीवुड में इन दिनों एक बात को लेकर काफी चर्चा हो रही है और जिसका सीधा ताल्लुक आप लोगों से है। जब मैं आप लोग कह रहा हूं तो आप वह हैं जो बॉलीवुड में नेपोटिज्म का विरोध करते आए हैं, जिन लोगों ने कहा है कि बॉलीवुड में पॉपुलर सरनेम वाले लोग नहीं चलने चाहिए। यहां दो नाम लूंगा जान्हवी कपूर और अनन्या पांडे। यह दोनों बॉलीवुड में सिर्फ इस वजह से आईं क्योंकि यह बॉलीवुड की फिल्म फैमिली से ताल्लुक रखती हैं। दोनों का आना करण जौहर की वजह से हुआ। लेकिन आज हालत यह है कि उनके पास कोई फिल्म नहीं है।
इसे गौर से समझने के लिए पहले आप देखिए कि जान्हवी कपूर बॉलीवुड की मशहूर अदाकारा श्रीदेवी की बेटी हैं, जिन्हें लॉन्च किया करण जौहर ने मराठी फिल्म सैराट के रीमेक से। 2018 में धड़क नाम से उनकी यह पहली फिल्म आई। उसके बाद वह गुंजन सक्सेना में दिखीं। लेकिन तब उन्हें बहुत गालियां पड़ी क्योंकि फिल्म में वायुसेना का अपमान हुआ था। फिर उसके बाद यह घोस्ट स्टोरीज में दिखाई दीं, जिसमें उनका कुछ खास काम नहीं था। उसके बाद रूही में आईं, जिसका क्या हश्र हुआ यह आप सभी जानते हैं। अब उनकी आने वाली फिल्म दोस्ताना 2 को लेकर बातें हो रही हैं। इसके अलावा जान्हवी के पास कोई फिल्म नहीं है।
अब अगर अनन्या पांडे की बात करें तो उन्होंने शुरुआत 2019 में आई फिल्म स्टूडेंट ऑफ द ईयर के सीक्वल से की थी। जिसे करण जौहर ने ही बनाया था। इसके बाद खाली पीली में वह नजर आईं। हाल ही में वह गहराइयां में दिखाई दीं जिसके लिए उन्हें काफी गालियां पड़ी। आपको पता ही है कि गहराइयों को लेकर कितना ट्रॉली किया गया उन्हें। लाइगर को लेकर भी वह काफी चर्चा में हैं लेकिन इसके अलावा उनके पास कोई फिल्म नहीं है।
बात यह है कि कोई बड़ा प्रोड्यूसर इन जैसे लोगों पर, जिन पर नेपाकिड्स का ठप्पा लगा है, पैसा लगाने के लिए तैयार नहीं क्योंकि देश की जनता इस समय कसम खा कर बैठी है कि हम बॉलीवुड में अब नेपोटिज्म को बिल्कुल पनपने नहीं देंगे। यहां एक संदेश बहुत ही क्लीयर-कट समझ में आने लगा है कि जनता नेपाकिड्स को अपनाने को बिल्कुल तैयार नहीं। आप मानकर चलिए कि जो भी फिल्म बनाता है वह अपनी जेब से पैसा नहीं लगाता। जो भी फिल्में बनाता है उसे पैसा आपकी जेब से वसूल करना होता है।
जब इन लोगों को यह पता है कि देश की जनता नेपोटिज्म को नहीं चलने देगी और ये जो दो कौड़ी के चेहरे अनन्या पांडे और जानवी कपूर यह तो नेपोटिज्म का सबसे बड़ा सबूत हैं। यह इसी वजह से फिल्म इंडस्ट्री में हैं क्योंकि इनका परिवार पहले से था। इसीलिए उनको मौका मिला वरना इनमें ऐसी कोई खास बात नहीं। हां, यह बात अलग है कि इनका सोशल मीडिया पॉपुलर है। जान्हवी कपूर के इंस्टाग्राम पर लगभग 15 मिलियन के आसपास फॉलोअर्स हैं। वहीं अनन्या पांडे के भी लगभग 21 मिलीयन के आसपास फॉलोअर्स है, तो इस वजह से हो सकता है कि उनकी रोजी-रोटी चलती रहे। ब्रांड आते रहें, एंडोर्समेंट कराते रहें। पापाराजी को यह लोग पैसा देकर घुमाते रहते हैं। लेकिन यह सच है कि इन्हें फिल्मे ऑफर नहीं हो रही है। यह इस बात का सबसे बड़ा संकेत है कि कोई भी इन पर अपना पैसा नहीं लगाना चाहता।
देश की जनता गुस्से में है और जो पिछले डेढ़-दो सालों से चल रहा है, उससे देश की जनता ने साफ कर दिया है कि हमें यहां नेपाकिड्स नहीं चाहिए। भेदभाव नहीं चाहिए। अगर आप किसी पॉपुलर सरनेम से आते हैं तो आपको भर-भर कर काम मिलेगा और जो लोग छोटे शहरों से आते हैं उन्हें काम नहीं दिया जाएगा। या जो लोग बड़े परिवार से नहीं आते। करण जौहर भले ही कितनी बातें कर लें लेकिन करण जौहर कौन सा उनको लेकर फिल्में बनाने आते हैं। गुंजन सक्सेना के बाद दोस्ताना टू को लेकर जान्हवी कपूर की चर्चा है। इसके अलावा इनके पास कोई फिल्म नहीं है। आप अगर विकिपीडिया खोल कर देखें तो फिल्मों की लिस्ट में इन लोगों के नाम जीरो दिखाई देंगे। कहने का मतलब यह है कि इनके पास कोई फिल्म नहीं है।
अनन्या पांडे एक कंट्रोवर्सी में भी हाल ही में फंसी थी। बताने की जरूरत नहीं है कि अक्टूबर में जब आर्यन खान का मामला हुआ तो इन्हें भी बुलाया गया था, पूछताछ के लिए तो तमाम बातें साफ कर रही हैं कि नेपोटिज्म अब बॉलीवुड में ज्यादा नहीं चलने वाला नहीं है। बॉलीवुड एक ऐसी इंडस्ट्री है जो देश की जनता की पसंद से चलती है और जब देश की जनता इन नेपाकिड्स को पसंद नहीं कर रही है। ऐसे में यह कहां से चलेंगे। और यह मैं नहीं कह रहा हूं, आप खुद देख सकते हैं कि क्या अनन्या पांडे के पास 10 फिल्में है, क्या जान्हवी कपूर के पास 10 फिल्में है और यह वे लोग हैं जिन्होंने अपना कैरियर एक-दो साल पहले ही शुरू किया है।
आमतौर पर बॉलीवुड में जब ऐसे चेहरे हुआ करते हैं, जिनका कैरियर एक-दो साल पहले ही शुरू हुआ हो, तो उनके अगले पांच-छह साल बुक होते थे, आने वाली फिल्मों को लेकर। लेकिन ऐसा कुछ यहां दिखाई नहीं दे रहा है जिसका मतलब यह है कि प्रोड्यूसर्स को भी इनकी फिल्मों में पैसा लगाने में खतरा लग रहा है। डर लग रहा है कि कहीं ऐसा ना हो कि पब्लिक का गुस्सा फूट पड़े और पैसा पूरा डूब जाए। तो यह स्थिति बनी हुई है। आप लोग इस बारे में क्या सोचते हैं जरूर बताएं। मैं आप लोगों के विचार भी इस बारे में जानना चाहता हूं।
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