बॉलीवुड की क्वीन कंगना रनौत और आलिया भट्ट अब आमने-सामने आ गई हैं और इन दोनों के आमने-सामने आने की वजह बना है, आलिया भट्ट का एक ऐड जो उन्होंने हाल ही में शूट किया है।
मैं आपको बताता हूं कि इस ऐड में आलिया भट्ट कन्यादान का विरोध करती हुई दिखाई दे रही हैं। इसमें उन्होंने कहा है कि ‘कन्यादान’ की जगह ‘कन्यामान’ होना चाहिए। सभी जानते हैं कि धार्मिक रीति-रिवाजों के हिसाब से हिंदू सनातन परंपरा में कन्यादान होता आया है। बहुत से लोग हैं जिन्हें इसका अर्थ नहीं पता, इसलिए वे भ्रमित हो जाते हैं। आलिया भट्ट पर भी सवाल उठ रहे हैं कि क्या उन्हें कन्यादान का सही अर्थ पता है। अब कंगना रनौत भी उनसे यही पूछ रही हैं, लेकिन अपनी ही स्टाइल में। मैं आपको बताता हूं कि उन्होंने क्या लिखा है?
कंगना ने आलिया और ब्रांड मोहे पर तंज कसते हुए सोशल मीडिया पर जो पोस्ट शेयर किया उसमें वह लिखती हैं कि चीजों को बेचने के लिए मेरा सारे ब्रांड्स से विनम्र अनुरोध है कि आप धर्म, माइनॉरिटी, मेजॉरिटी और पॉलिटिक्स का इस्तेमाल मत कीजिए। अलगाव बढ़ाने वाले विज्ञापनों के जरिए आप भोले-भाले कंज्यूमर्स के साथ छेड़छाड़ करना बंद कीजिए। अब कंगना एक्जेक्ट लिखती हैं: हम एक शहीद के पिता को टीवी पर देखते हैं जब वह सीमा पर बेटे को खो देते हैं, तो दहाड़ मारते हैं कि चिंता मत करो। मेरा एक और बेटा है, उसका भी दान मैं इस धरती मां को दूंगा। कन्यादान हो या पुत्रदान (अंग्रेजी या उर्दू में इसके लिए कोई शब्द नहीं है)। जिस तरह से समाज इसका कॉन्सेप्ट देखता है, त्याग इसकी कोर वैल्यू को बताता है।
जब वह दान के विचार को ही नीचा दिखाना शुरू कर दें, तब आप मान जाओ कि ये रामराज्य की स्थापना का समय है। जिस राजा ने अपना सब कुछ त्याग दिया, केवल एक तपस्वी का जीवन जीने के लिए, तो इस तरह से आप हमरे धार्मिक रीति-रिवाजों का मजाक न उड़ाएं। धरती और स्त्रियां दोनों ही शास्त्रों में माता के रूप में बताई गई हैं। उन्हें उर्वरता की देवी के रूप में पूजा जाता है। उन्हें अनमोल और अस्तित्व के स्रोत के रूप में देखने में कुछ भी गलत नहीं है।
कंगना ने एक और पोस्ट में लिखा है: जब जीन पूल और ब्लड ब्लाइंड्स की बात आती है, तो हिंदू धर्म बहुत ही संवेदनशील और वैज्ञानिक है। विवाह संस्कार में एक महिला अपने गोत्र और ब्लड लाइन्स को छोड़कर दूसरे गोत्र और जीन पूल में प्रवेश करती है, इसके लिए न उसे केवल अपने पिता की बल्कि अपने पूर्वजों की भी अनुमति की आवश्यकता होती है। जिनका खून उनकी नसों में बहता है। सुचारू परिवर्तन के लिए पिता हर पक्ष से उसे अनुमति देते हैं और उसे गोत्र से मुक्त करते हैं। लेकिन जागृत मंदबुद्धि इस जटिल विज्ञान को नहीं समझेंगे। बेहतर यही है कि ऐसे विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगा दिया जाए और उन्हें बंद कर दिया जाए। वह आगे लिखती हैं कि धन कोई गंदा शब्द नहीं है, तुम्हारा दिमाग गंदा है। धन कई अर्थों में इस्तेमाल किया जाता है जैसे राम रतन धन पायो। पुत्र धन और सौंदर्य के रूप के धनी होना। कुछ ऐसे शब्द हैं जो हमेशा उपयोग किए जाते हैं। कन्या धन और पराया धन का मतलब यह नहीं है कि आप बेटी को बेच रहे हैं। ये कुप्रचार बंद होना चाहिए।
यहां सवाल यह उठता है कि जब आप एक सेलेब्रिटी हैं और आपको लगता है कि आप जो भी बात कहेंगे उसका असर लोगों के दिमाग पर पड़ेगा और इसीलिए आपको इस बात के पैसे दिए जाते हैं। पैसे लेने तक तो ठीक है लेकिन साथ ही यह विचार करना भी जरूरी हो जाता है कि आप जिस काम का पैसा ले रहे हैं क्या उससे सही विचार लोगों के बीच में जाएगा। अगर सही विचार लोगों के बीच में नहीं जाएगा तो यह चिंता की बात है और इसकी जिम्मेदारी उनकी बनती है जो पैसा लेकर कैमरे के सामने कुछ भी बोलने के लिए तैयार हो जाते हैं।