‘दाऊद’ की कब्र मुंबई में बना दी सूर्यवंशी ने !



Updated: 08 November, 2021 12:58 am IST

कहने को तो दीवाली पर रिलीज हुई रोहित शेट्टी की सूर्यवंशी फार्मूला फिल्म है। जिसमें कुछ भी नया नहीं है। लेकिन एक ऐसी बात इस फिल्म में है, जो बेजोड़ है। रोहित शेट्टी ने वह कर दिखाया है जिसका मुंबई पुलिस आज तक सपना देख रही है। 1993 के मुंबई धमाकों की बात हो और अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम का जिक्र न आए, यह संभव नहीं है। सूर्यवंशी की कहानी इन्हीं मुंबई धमाकों से शुरू होती है और पूरी फिल्म में बार-बार इसके रीयल फुटेज आते हैं। मगर रोहित शेट्टी ने धमाके कराने वाले दाऊद इब्राहिम का नाम तक नहीं लिया है। असल में, रोहित शेट्टी ने सूर्यवंशी में दाऊद इब्राहिम का सीधे नाम न लेते हुए उसकी पर्सनैलिटी और लाइफ स्कैच के आधार पर एक किरदार रचा है, जिसे 1993 बम धमाकों का जिम्मेदार दिखाया गया है। इस किरदार का नाम है, बिलाल अहमद। यह रोल परदे पर कुमुद मिश्रा ने निभाया है।

आप जानते हैं कि दाऊद इब्राहिम आज तक वांटेड है। लेकिन रोहित ने सूर्यवंशी में फिल्मी दाऊद इब्राहिम यानी बिलाल अहमद को मुंबई पुलिस के चंगुल में फंसते दिखाया है। फिल्म आगे यह भी दिखाती है कि बिलाल पुलिस के सामने कनपटी पर गोली मार कर जान दे देता है और फिर मुंबई के उसी कब्रिस्तान में उसकी कब्र बनाई जाती है, जहां पर उसकी मां दफन है। मां के बगल में यह कब्र बनाई जाती है।

आप सोचेंगे कि इसमें खास क्या है। तो आइए हम बताते हैं कि सूर्यवंशी में दाऊद इब्राहिम से प्रेरित बिलाल अहमद के किरदार को मुंबई के उस कब्रस्तान में दफनाना क्यों अहम है, जहां उसकी मां दफन है। सूर्यवंशी में मुंबई विस्फोटों के बाद पाकिस्तान भागा बिलाल अहमद कई साल बाद चोरी-छुपे गोवा के रास्ते भारत लौटता है क्योंकि पाकिस्तान में बैठे उसके आका मुंबई में फिर से 1993 जैसे ही धमाके कराना चाहते हैं। बिलाल गोवा से मुंबई आता है और अपने दोस्त के मना करने के बावजूद रिस्क लेकर मां की कब्र पर फातिहा पढ़ने जाता है। वह कहता है कि मुझे पता है, इसके बाद मैं कभी अपनी मां की कब्र पर नहीं जा सकूंगा। कब्रिस्तान में मुंबई पुलिस का एक रिटायर्ड अधिकारी बिलाल को पहचान कर सूर्यवंशी बने अक्षय कुमार को खबर कर देता है। बिलाल को होटल में पुलिस घेर लेती है और वह खुद को गोली मार देता है। अगले दृश्य में पुलिस की देखरेख में बिलाल को उसकी मां की कब्र के बगल में दफनाते दिखाया गया है। फिल्म में यह डायलॉग भी आता है कि बिलाल की हमेशा यह इच्छा थी कि उसे मां की कब्र के बगल में दफनाया जाए।

अब इस बात को समझिए कि सूर्यवंशी के दाऊद इब्राहिम पर आधारित बिलाल अहमद के किरदार का पूरा सीक्वेंस और उसे मां की कब्र के पास दफनाने का सीन क्यों महत्वपूर्ण है। असल में मुंबई अंडरवर्ल्ड का दौर कवर करने वाले क्राइम जर्नलिस्ट और मुंबई पुलिस के कई अफसर कहते रहे हैं कि दाऊद इब्राहिम अपने पूरे परिवार को बहुत चाहता है। खास तौर पर अपनी मां को। इसलिए दाऊद माता-पिता के करीब ही कब्र पाने की इच्छा व्यक्त करता रहा है।

यहां आपको साउथ मुंबई के मरीन लाइंस स्थित ‘बड़ा कब्रस्तान’ के बारे में जानना चाहिए। दाऊद इब्राहिम के पिता इब्राहिम कासकर, मां अमीना बी, भाई शब्बीर, बहनोई इब्राहिम पारकर और बहन हसीना पारकर की कब्रें इसी कब्रिस्तान में हैं। 1981 में जब दाऊद के बड़े भाई शब्बीर की हत्या हुई थी तो उसे यहां दफनाया गया था। तब कासकर परिवार ने तय किया कि उनके आखिरी आराम की जगह यही ‘बड़ा कब्रिस्तान’ रहेगा। इसके बाद 1982 में परिवार ने ट्रस्ट में पांच हजार रुपये की रकम जमा कराई और एक जगह परिवार के लिए ले ली। यह कब्रिस्तान देश के सबसे बड़े मुस्लिम कब्रिस्तानों में से एक है और साढ़े सात एकड़ में फैला है। यहां सात हजार कब्रें हैं। इस कब्रिस्तान का इतिहास 150 साल पुराना है। कब्रिस्तान की देखरेख जामा मस्जिद ट्रस्ट करता है। इसके एक तरफ हिंदू चंदनवाड़ी श्मशान भूमि है, तो दूसरी तरफ पारसी श्मशान स्थल। इस कब्रिस्तान की देखरेख करने वाले ट्रस्ट में आज भी हर साल दाऊद के परिवार की कब्रों की विशेष देखभाल के लिए धन जमा कराया जाता है। कहा जाता है कि पिता की मौत के बाद दाऊद इब्राहिम ने उनकी कब्र पर चढ़ाने के लिए कई ट्रक गुलाब की पंखुड़ियां मंगवाई थीं। उन गुलाबों की खुशबू तीन दिन तक पूरे कब्रिस्तान में फैली रही।

भारतीय खुफिया तंत्र हमेशा दावा करता रहा है कि दाऊद इब्राहिम पाकिस्तान में है। मगर पाकिस्तान ने यह आज तक स्वीकार नहीं किया और भविष्य में वह यह बात मान लेगा कि उसने डी कंपनी के मुखिया को शरण दे रखी है, इसकी संभावना नहीं दिखती। 2009 में दाऊद इब्राहिम के छोटे भाई नूरा की मौत पाकिस्तान में हुई थी, तब उसे बड़ा कब्रिस्तान में दफनाने की बात चली थी, परंतु उसे कराची में ही अज्ञात स्थल पर दफन किया गया था।

दाऊद भले ही छुप कर बैठा है लेकिन उसकी चर्चाएं बॉलीवुड फिल्मों में कभी बंद नहीं हुईं। फिल्मवाले अपने-अपने हिसाब से उसकी कहानियां बनाते रहते हैं। 2013 में निखिल आडवाणी की फिल्म डी-डे में दाऊद इब्राहिम को जिंदा पकड़ लाने का भारतीय खुफिया एजेंसी का मिशन दिखाया गया था। जिसमें दाऊद हाथ में आकर भी आखिरी मौके पर छूट जाता है। मगर सूर्यवंशी में रोहित शेट्टी ने दाऊद इब्राहिम को लेकर जो फेंटेसी रची है, वह जानकर लोगों को हैरान कर रही है।

जहां तक मरीन लाइंस के बड़ा कब्रिस्तान की बात है तो यहां मुंबई अपराध जगत के डॉन रहे हाजी मस्तान और करीम लाला की भी कब्रें हैं। फिल्म वालों का भी इससे बड़ा कनेक्शन है। मदर इंडिया जैसी क्लासिक फिल्म के निर्देशक महबूब खान, अभिनेत्री नरगिस और गायिका सुरैया जैसी हस्तियों की भी कब्रें यहां पर हैं। इनके परिजन हर साल इन्हें याद करने और कब्रों पर फूल चढ़ाने आते हैं।

यह लेख फ़िल्म समीक्षक रवि बुले द्वारा लिखा गया है।





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