द कश्मीर फाइल्स की सुपर सक्सेस पर शाहरुख खान की चुप्पी को लोग उनकी और टोनी अशाय की दोस्ती से जोड़कर भी देख रहे हैं। लेकिन मैं आपके सामने इस पूरे मामले का एक और उदहारण लेकर आया हूं।
पहले हम समझ लेते हैं कि टोनी अशाय कौन हैं। अगर आप नहीं जानते हैं तो मैं बता दूं कि टोनी अशाय कश्मीरी अमेरिकन हैं। हैं तो वह कश्मीरी लेकिन रहते अमेरिका में हैं और वहां से बहुत से ट्वीट ऐसे करते हैं जो कश्मीरी यूथ को भड़काते हैं। यह बात अलग है कि उनका खुद का बेटा भी अमेरिका में पढ़ता है। कश्मीर में जितना कुछ भी चल रहा है उसके बारे में यह हमेशा ऐसे ट्वीट करते हैं जो काफी भड़काऊ होते हैं। इनका संबंध शाहरुख खान से यह रहा है कि वह शाहरुख खान के बिजनेस पार्टनर हैं।
अब बात कर लेते हैं कि शाहरुख खान ने अभी तक द कश्मीर फाइल्स पर कुछ भी नहीं बोला है। लेकिन मैं आपको लेकर चलता हूं 2019 में। यह मौका था इंडियन फिल्म फेस्टिवल मेलबर्न के मंच का जहां पर एक बहुत बड़ा झूठ बोला गया और वह झूठ था कि यह 10वां सेलिब्रेशन है इस फिल्म फेस्टिवल का, इसलिए हम शाहरुख खान को लेकर आए हैं। इस मौके पर विक्टोरिया प्रोविन्स के प्रीमियर खुद शाहरुख का स्वागत करेंगे। जो लोग नहीं जानते उनको बता दू कि प्रीमियर ठीक वैसे ही होते हैं, जैसे हमारे यहां चीफ मिनिस्टर होते हैं। लेकिन वहां पर दो बातें ऐसी थी, जिस पर ध्यान देने की बहुत जरूरत है। न तो वह 10वां साल था आईएफएम की वेबसाइट और खुद उसका विकिपीडिया पेज हैं, वह बताते हैं कि यह 2012 में शुरू हुआ था तो फिर 2019 में इनका 10वां साल कैसे हो गया।
खैर, आगे बढ़ते हैं कि प्रीमियर आएंगे वहां पर और शाहरुख का स्वागत करेंगे। लेकिन प्रीमियर वहां नहीं पहुंचे। प्रीमियर वहां आने से खुद को रोक रहे थे क्योंकि वहां मामला एक बहुत बड़ी कन्ट्रोवर्सी का था। कंट्रोवर्सी यह थी कि वही शाहरुख खान जिनके स्वागत के लिए विक्टोरिया के प्रीमियर को बुलाया जा रहा था, इन्हीं शाहरुख खान की फिल्म चक दे इंडिया जब शूट हो रही थी ऑस्ट्रेलिया में तब एक झूठा मुकदमा रेसिज्म का चला था और उसकी वजह से ऑस्ट्रेलिया को काफी विरोध का सामना करना पड़ा था और बाद में पता यह चला था कि रेसिज्म हुआ ही नहीं था। सिर्फ डराने धमकाने के लिए इस तरह का केस बनाया गया कि हमारे साथ रेसिज्म हो रहा है। यह कहानी मैं आपको पहले भी बता चुका हूं।
अब इसी मंच पर कश्मीर के नाम का भी इस्तेमाल हुआ क्योंकि वहां पर बहुत सारी मीडिया मौजूद थी और जाहिर है यह दो सवाल सीधे तौर पर उठाए जाते। पहला तो यह कि आप दावा कर रहे थे प्रीमियर आएंगे स्वागत करने। प्रीमियर तो आए नहीं और जो वहां जर्नलिस्ट थे ऑस्ट्रेलियाई मीडिया के जो सिर्फ इसलिए वहां पहुंचे थे कि प्रीमियर आने वाले हैं, वह यह भी सवाल पूछ सकते थे कि यह तो 10वां सेलिब्रेशन है ही नहीं। हमने तो आपका विकिपीडिया पेज चेक किया, उसमे तो आपने इस प्रोग्राम को 2012 में शुरू किया, तो उस हिसाब से तो अभी सिर्फ 7 साल हो रहे हैं। इन सारे सवालों से बचने के लिए वहां पर कश्मीर का जिक्र छेड़ दिया गया।
दोस्तों बात यहीं खत्म नहीं होती। उस मंच पर कश्मीर का जिक्र छेड़ा गया और वहीं एक साऊथ इंडियन फिल्म डायरेक्टर त्यागराजन मौजूद थे जिन्होंने भारत विरोधी बयान ने शुरू कर दिए। शाहरुख खान भी वहां मंच पर बैठे थे लेकिन खामोश थे, चुप थे, सब कुछ ऐसे ही चलता रहा। सवाल यह है कि उस मंच पर कश्मीर का पक्ष रखने वाला कोई नहीं था, कश्मीर के नाम का इस्तेमाल इसलिए किया गया ताकि यह जो मुश्किल सवाल है कि प्रीमियर साहब क्यों नहीं आए और आपका दसवां साल तो है नहीं, इसलिए आपने कश्मीर के नाम का इस्तेमाल किया। शाहरुख खान उस पर भी चुप रहे और यह सारी बातें मैं शेयर कर रहा हूं, वहां के एक न्यूज आर्टिकल में छपी है। आप खुद पढ़ सकते हैं, जान सकते हैं और एक सबसे बड़ी बात यह है कि अभी तक इतने दिन बीत चुके हैं कश्मीर फाइल्स को रिलीज होकर और शाहरुख खान का कोई स्टेटमेंट नहीं आया है। उनकी और टोनी अशाय की दोस्ती मशहूर है।
कश्मीर मामले पर ऑस्ट्रेलिया के मंच पर चुप रहना और अब द कश्मीर फाइल्स के बारे में कुछ न कहना, बहुत कुछ कहता है। दोस्तों मैं आपको बता दू, यह वही इंडियन फिल्म फेस्टिवल मेलबर्न है जिसने हैदर जैसी फिल्म को सम्मानित किया था, पुरस्कृत किया था, अवॉर्ड दिया था और आप जानते ही हैं कि हैदर में क्या दिखाया गया था। मार्तंड मंदिर को शैतान की गुफा कहकर दिखाया गया था एक गाने में, यह कहानी भी मैं आपको बता चुका हूं तो देखिए किस तरह से यह एक पूरा एजेंडा बनाकर काम चलता है कि अगर आप विदेश में भी है और कश्मीर का जिक्र आता है तो आप भारत का पक्ष नहीं रखते, स्टेज पर बोलने का मौका उनको देते हैं जो भारत के विरोध में बोल रहे हैं। ऐसे भी तो गेस्ट वहां हो सकते थे। अगर आपको साउथ इंडिया से बुलाना था तो खुशबू सुंदर हो सकती थी, नॉर्थ इंडिया से बुलाना था तो कंगना रनौत हो सकती थी और भी तमाम लोग हो सकते थे जो वहां पर कश्मीर का पक्ष रखते लेकिन आपने सिर्फ कश्मीर का इस्तेमाल किया,
सिर्फ इसलिए ताकि कोई मुश्किल सवाल न पूछे जाए। कोई उठकर यह न पूछे कि कहां है प्रीमियर साहब, क्यों नहीं आए स्वागत करने,कहीं यह पुराना मामला तो नहीं है। इन सारे सवालों से बचने के लिए, बड़ी खूबसूरती से मीडिया वालों को और वहां उपस्थित सभी लोगों को धोखा दिया गया लेकिन दोस्तों मैं आपको एक बात बता दू कि वहां पर मौजूद कई ऐसे लोग हैं जो अब उस वाकये को रिकॉल कर रहे हैं, कनेक्ट कर रहे हैं आज की चुप्पी से।
आज IFFM ने द कश्मीर फाइल्स पर कुछ नहीं लिखा है। शाहरुख खान ने भी कुछ नहीं बोला है। उस दिन भी मंच पर कुछ नहीं बोला था। अब शाहरुख और अशाय की दोस्ती के किस्से तो मशहूर हैं। अब यह सारी बातें गौर से देखिए, गौर से समझिए और इस बात को जानने की कोशिश कीजिए कि किस तरह से एक तयशुदा एजेंडे के तहत काम किया जाता है। इन बातों की तरफ आपका ध्यान कोई लेकर नहीं जाएगा लेकिन मैं अपनी ड्यूटी निभा रहा हूं। आपको वह सारी बातें बता रहा हूं जो आपको पता होनी चाहिए।