आज तारीख है 5 नवंबर। आज के दिन एक बहुत बड़ा फैसला होने वाला है। फैसला बॉलीवुड और आम जनता के बीच कनेक्शन का। क्या आम जनता ने वाकई बॉलीवुड को नकार दिया है या फिर बॉलीवुड अब भी कुछ उम्मीदें कर सकता है। यह सवाल मैं इसलिए पूछ रहा हूं क्योंकि आज एक लंबे समय के बाद, एक बहुत बड़ी लागत से बनी फिल्म सूर्यवंशी थियेटर्स में रिलीज हो रही है। याद कीजिए कोविड से पहले का वह दौर जब सिनेमाघरों में बड़े बजट वाली फिल्में त्यौहारों के मौकों पर लगा करती थी, वो अरसे बाद वापस आया है। ऐसे में सबकी नजरें टिकी हुई हैं कि सूर्यवंशी के साथ जनता क्या सलूक करती है।
इस बीच बहुत कुछ बदला। लोगों ने ओटीटी पर फिल्मों को रिलीज होते देखा। ओटीटी कल्चर बढ़ने लगा, लोगों को ओटीटी की आदत लगी, लोगों ने ओटीटी के सब्सक्रिप्शन खरीदने शुरू किए और यह कहा गया कि बाजार पूरी तरह से बदल चुका है। लेकिन अब वह दौर फिर से वापस आता लग रहा है जब बड़े प्रोड्यूसर्स थियेटर्स का रुख करेंगे। अगर सूर्यवंशी की हम बात करें तो यह फिल्म डेढ़ साल से रुकी थी, सिर्फ इस इंतजार में कि एक दिन थियेटर खुलेंगे तब रिलीज किया जाएगा। इसके प्रोड्यूसर्स को लगता है कि यह फिल्म सैकड़ों करोड़ का मुनाफा कमा सकती है क्योंकि 130 करोड़ लोगों का यह देश थियेटर्स में जाकर फिल्में देखना पसंद करता है।
हम अगर बात करें पिछले 15 महीनों की तो बहुत कुछ हमने बदलते देखा है। बॉलीवुड के प्रति लोगों का दृष्टिकोण बदला है, सोच बदली है। बॉलीवुड की कुछ ऐसी खामियां या कुछ ऐसी बातें निकलकर सामने आई हैं जिसकी वजह से आम जनता का रवैया बॉलीवुड के प्रति रूखा हो चुका है। जो पहले नहीं था और ऐसा पहली बार हुआ है। अब देखना यह है कि यह जो फिल्म 3000 से ज्यादा स्क्रीन्स पर रिलीज हो रही है, उसके साथ जनता क्या सुलूक करती है। पहले यह भी कहा जाता था कि कोई फिल्म रिलीज हुई, एक साथ दो बड़ी फिल्में रिलीज हो गई या किसी फिल्म के रिलीज होने के अगले हफ्ते कोई बड़ी फिल्म आ गई तो लोग कहते थे कि इस फिल्म ने उसका बिजनेस मार दिया। लेकिन यहां मामला यह है कि करीब 14 दिनों तक दूसरी कोई फिल्म रिलीज नहीं हो रही है। यानी यह एक बहुत बड़ा निर्णायक समय होगा, जो यह तय करेगा कि क्या आम जनता फिर से थियेटर्स की तरफ आने के मूड में है।
क्या बॉलीवुड को माफ कर दिया गया है। क्या बॉलीवुड के प्रति जो सोच बदली थी, वह अब बीते समय की बात है या जनता उसको लेकर चलना चाहेगी। तमाम बातें हैं। यह भी तय होगा कि वह जो स्टार-पूजा होती थी, स्टार फॉर्मूला होता था कि बड़े स्टार्स के साथ फिल्म के हिट होने की उम्मीद आती थी। क्या वह फिर से कायम हो पाएगी। कई और सवाल हैं, जिनके जवाब भी मिलेंगे कि क्या ओटीटी की वजह से लोग थियेटर में जाना बंद कर देंगे। क्या ओटीटी इतना बड़ा थ्रेट हो चुका है थियेटर्स के लिए। दूसरी बात ओटीटी सीरीज में अब जिस तरह का बदलाव लोगों ने देखा है। कई बार यह भी कहा गया कि उसमें सेंसर का कोई रोल नहीं होता, गालियां दी जाती है, फूहड़ता होती है। पिछले दिनों नवाजुद्दीन सिद्दीकी कह चुके हैं कि मुझे तो जाना ही नहीं है ओटीटी के किसी शो में काम करने के लिए। यह तमाम बातें हैं जो बहुत कुछ डिसाइड करने वाली हैं और अब इस बार सब कुछ सिर्फ और सिर्फ जनता के हाथ में है और इसमें कोई कुछ कर ही नहीं सकता।
फिल्म बनाने वालों ने तो फिल्म बनाकर थियेटर में रिलीज कर दी, इंतजार करना था कर लिया। डेढ़ साल के इंतजार के बाद 3000 स्क्रीन में लगी हुई फिल्म इंतजार करेगी और रास्ता देखेगी कि क्या भारत की जनता थियेटर्स की तरफ लौटेगी या नहीं। यह बहुत सारे लोगों की रोजी रोटी, आने वाला कल, उनके बिजनेस का पैटर्न, किस तरह की लागत होगी, किस तरह की कमाई होगी, किस तरह का पैसा ऑफर किया जाएगा बॉलीवुड में काम करने वालों को, यह तमाम बातें हैं जो अब साफ हो जाएंगी और अब मुझे लगता है कि अगले 15 दिन तकरीबन 20 नवंबर तक बहुत कुछ साफ हो जाएगा। 20 नवंबर को हम यह कह पाने की स्थिति में होंगे कि बॉलीवुड का रिजल्ट निकलकर क्या आया है। जनता ने कितने मार्क्स दिए हैं। इस पूरे मामले पर आप अपनी क्या सोच रखते हैं, मुझे जरूर बताइए। मैं आपके कॉमेंट्स पढ़ने का इंतजार कर रहा हूं।
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I still will boycott bollywood
Good analytical description n interpretation…
Welcome back to blog writing…
🤲🇵🇰🙏